मुव्मेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) ने दस दिवसीय
किसान अधिकार अभियान की शुरुआत 12 दिसम्बर को जलगाँव से की है. इस अभियान का उद्देश्य किसानों को उसका न्यायोचित अधिकार
दिलाना है.
किसान अधिकार अभियान की शुरुआत 12 दिसम्बर को जलगाँव से की है. इस अभियान का उद्देश्य किसानों को उसका न्यायोचित अधिकार
दिलाना है.
गौर तलब है कि, आज देश का किसान अपने
अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर हो चला है. सर्वविदित है कि आज भी देश में 65 से
70 फ़ीसदी लोग रोज़ी-रोटी के लिए कृषि और कृषि आधारित कामों पर निर्भर हैं. किन्तु
किसानों और शेतकरी मजदूरों की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय है, जिसका प्रत्यक्ष
प्रमाण किसानों द्वारा स्वयं ही अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेना है.
अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर हो चला है. सर्वविदित है कि आज भी देश में 65 से
70 फ़ीसदी लोग रोज़ी-रोटी के लिए कृषि और कृषि आधारित कामों पर निर्भर हैं. किन्तु
किसानों और शेतकरी मजदूरों की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय है, जिसका प्रत्यक्ष
प्रमाण किसानों द्वारा स्वयं ही अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेना है.
आज किसानों के सामने अनेक समस्याएँ विकराल
रूप धारण किये खड़ी हैं. किसान सूखे से परेशान है. सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं
है. धरती से जल निकालने हेतु बिजली उपलब्ध नहीं होती है. उन्हें फसल की उचित क़ीमत नहीं मिलती है. वन्य प्राणियों से भी किसानो की फसल बर्बाद
होती रहती है, किन्तु वन विभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती. किसान क़र्ज़ के जाल
में फंसा हुआ है. देश की भूख मिटाने के लिए रात-दिन एक कर के खून-पसीना बहाने वाली
शेतकरी कम्युनिटी की परेशानियाँ ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. आज विडम्बना
यह है कि, जय जवान-जय किसान के नारे वाले देश में किसान अपने बच्चों को चपरासी तो बनाना
चाहता है, किन्तु अन्न उत्पादक नहीं.
रूप धारण किये खड़ी हैं. किसान सूखे से परेशान है. सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं
है. धरती से जल निकालने हेतु बिजली उपलब्ध नहीं होती है. उन्हें फसल की उचित क़ीमत नहीं मिलती है. वन्य प्राणियों से भी किसानो की फसल बर्बाद
होती रहती है, किन्तु वन विभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती. किसान क़र्ज़ के जाल
में फंसा हुआ है. देश की भूख मिटाने के लिए रात-दिन एक कर के खून-पसीना बहाने वाली
शेतकरी कम्युनिटी की परेशानियाँ ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. आज विडम्बना
यह है कि, जय जवान-जय किसान के नारे वाले देश में किसान अपने बच्चों को चपरासी तो बनाना
चाहता है, किन्तु अन्न उत्पादक नहीं.
आज तक किसानों की समस्याओं पर सरकारें सिर्फ
राजनीति ही करती आईं हैं. चुनाव के समय वर्तमान सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य
देने, अच्छी सिंचाई व्यवस्था करने, निर्बाध रूप से विद्युत् आपूर्ति करने तथा कृषि
ऋण माफ़ करने जैसे अनेक सब्ज़ बाग़ किसानों को दिखाए गए, किन्तु अभी तक प्रदेश के
किसान इन लोकलुभावन घोषणाओं के लागू होने का इंतज़ार ही कर रहे हैं. किसानों की इस
दुर्दशा पर मुव्मेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) शुरू से ही अपनी
आवाजें बुलंद करती आई है.
राजनीति ही करती आईं हैं. चुनाव के समय वर्तमान सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य
देने, अच्छी सिंचाई व्यवस्था करने, निर्बाध रूप से विद्युत् आपूर्ति करने तथा कृषि
ऋण माफ़ करने जैसे अनेक सब्ज़ बाग़ किसानों को दिखाए गए, किन्तु अभी तक प्रदेश के
किसान इन लोकलुभावन घोषणाओं के लागू होने का इंतज़ार ही कर रहे हैं. किसानों की इस
दुर्दशा पर मुव्मेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) शुरू से ही अपनी
आवाजें बुलंद करती आई है.
गौर तलब है कि, एमपीजे एक राष्ट्रीय जनांदोलन
है और शेतकरी समुदाय को इन्साफ़ दिलाने के प्रतिबद्ध है. इसी लक्ष्य की प्राप्ति
हेतु एमपीजे ने किसान अधिकार अभियान 12 दिसम्बर से शुरू किया है, जिसके तहत
आम जनता से लेकर पालिसी निर्माताओं तक शेतकरी समस्याओं को पहुँचाया जायेगा. अभियान
का समापन धुळे में 22 दिसम्बर को संगठन द्वारा आयोजित शेतकरी मेळावा में
होगा, जहाँ प्रदेश के कोने-कोने से शेतकरी बन्धु जमा होने वाले हैं. इस शेतकरी मेळावा का
मार्गदर्शन प्रसिद्ध शेतकरी लीडर श्री विजय जावंधिया, श्री प्रकाश पोहरे, मुख्य संपादक दैनिक देशोन्नति और
सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं सचिव, लोक संघर्ष मोर्चा श्रीमती प्रतिभा शिंदे करेंगी.
है और शेतकरी समुदाय को इन्साफ़ दिलाने के प्रतिबद्ध है. इसी लक्ष्य की प्राप्ति
हेतु एमपीजे ने किसान अधिकार अभियान 12 दिसम्बर से शुरू किया है, जिसके तहत
आम जनता से लेकर पालिसी निर्माताओं तक शेतकरी समस्याओं को पहुँचाया जायेगा. अभियान
का समापन धुळे में 22 दिसम्बर को संगठन द्वारा आयोजित शेतकरी मेळावा में
होगा, जहाँ प्रदेश के कोने-कोने से शेतकरी बन्धु जमा होने वाले हैं. इस शेतकरी मेळावा का
मार्गदर्शन प्रसिद्ध शेतकरी लीडर श्री विजय जावंधिया, श्री प्रकाश पोहरे, मुख्य संपादक दैनिक देशोन्नति और
सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं सचिव, लोक संघर्ष मोर्चा श्रीमती प्रतिभा शिंदे करेंगी.
एमपीजे 23 दिसम्बर को राजव्यापी स्तर पर ज़िलाधिकारी
कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन का आयोजन करेगी और किसानों की मांगों को ज़िलाधिकारी
के माध्यम से प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री तक प्रस्तुत करेगी.
कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन का आयोजन करेगी और किसानों की मांगों को ज़िलाधिकारी
के माध्यम से प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री तक प्रस्तुत करेगी.