एम् पी जे द्वारा इस मुद्दे पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस
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महाराष्ट्र के नांदेड़ ज़िले के घनी आबादी वाले क्षेत्र हैदर
बाग़ में वर्ष २००८ में करोड़ों रूपये की लागत से १०० बिस्तर वाले एक अस्पताल भवन का
निर्माण किया गया था! लगभग सात वर्ष गुज़र जाने के बावजूद यह अस्पताल कब चालू होगा,
इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है! यह भवन किसके अधीन है, इसकी भी जानकारी न तो
नांदेड़ महानगरपालिका को है और न ही राज्य सरकार के अधीन स्वास्थ्य विभाग को!
बाग़ में वर्ष २००८ में करोड़ों रूपये की लागत से १०० बिस्तर वाले एक अस्पताल भवन का
निर्माण किया गया था! लगभग सात वर्ष गुज़र जाने के बावजूद यह अस्पताल कब चालू होगा,
इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है! यह भवन किसके अधीन है, इसकी भी जानकारी न तो
नांदेड़ महानगरपालिका को है और न ही राज्य सरकार के अधीन स्वास्थ्य विभाग को!
दरअसल वर्षों से बन कर तैयार अस्पताल भवन में सरकार द्वारा चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध नहीं करा पाने से खिन्न और नगर के लोगों को दवा ईलाज के लिए दूर जाने में होने वाली परेशानियों से तंग आ चूकी जनता को अपने हक़ की आवाज़ बुलंद करने पर मजबूर होना पड़ा! प्रदेश में लोगों को उनके न्याय संगत अधिकार दिलाने के लिए गत दस वर्षों से कार्यरत मोव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर, महाराष्ट्र जो एक जन आन्दोलन है, ने इस अस्पताल के सम्बन्ध में जब सूचना के अधिकार के तहत सरकार से जानकारी मांगी, तब जा कर इस बात का खुलासा हुआ कि, स्वयं सरकारी एजेंसियां इस भवन के मालिकाना हक़ को ले कर भ्रम कि स्थिति है!
गौर तलब है कि, आर टी आई से प्राप्त जानकारी के मुताबिक़, इस
ईमारत का निर्माण २००८ में पूरा हो चूका था तथा इस अस्पताल का क़ब्ज़ा नांदेड़ महा
नगर पालिका द्वारा १३ जुलाई २०१० को डिस्ट्रिक्ट सिविल सर्जन को सौंप दिया गया था!
क़ब्ज़ा मिलने के बाद भी राज्य सरकार यहाँ अस्पताल शुरू नहीं कर पायी, जो न केवल
सरकारी तंत्र द्वारा जन हित के प्रति उदासीनता को दर्शाता है, बल्कि देश के लोगों
की खून-पसीने की कमाई के करोंड़ों रूपये के व्यर्थ कर दिए जाने का मामला प्रकाश में
आया है, जो बहुत ही खेद का विषय है! यह भी
एक खेदजनक विषय है कि, सिविल सर्जन इस बात को मान ने को तैयार ही नहीं है कि, इस
अस्पताल का मालिकाना हक़ उनके पास है! इस बाबत एम् पी जे कि लड़ाई जारी है!
ईमारत का निर्माण २००८ में पूरा हो चूका था तथा इस अस्पताल का क़ब्ज़ा नांदेड़ महा
नगर पालिका द्वारा १३ जुलाई २०१० को डिस्ट्रिक्ट सिविल सर्जन को सौंप दिया गया था!
क़ब्ज़ा मिलने के बाद भी राज्य सरकार यहाँ अस्पताल शुरू नहीं कर पायी, जो न केवल
सरकारी तंत्र द्वारा जन हित के प्रति उदासीनता को दर्शाता है, बल्कि देश के लोगों
की खून-पसीने की कमाई के करोंड़ों रूपये के व्यर्थ कर दिए जाने का मामला प्रकाश में
आया है, जो बहुत ही खेद का विषय है! यह भी
एक खेदजनक विषय है कि, सिविल सर्जन इस बात को मान ने को तैयार ही नहीं है कि, इस
अस्पताल का मालिकाना हक़ उनके पास है! इस बाबत एम् पी जे कि लड़ाई जारी है!