महाराष्ट्र में किसान आन्दोलन की राह पर


मुंबई
महाराष्ट्र में किसान आन्दोलन की राह पर हैं! किसान फ़सलों की बेहतर क़ीमत हासिल करने
और हर तरह के कृषि लोन की माफ़ी  के लिए सड़कों
पर उतर आएं  हैं! प्रदेश के कई ज़िलों से हाई
वे पर तोड़-फोड़ और दुग्ध से लेकर सब्जी-तरकारी इत्यादि तक सड़कों पर फेंकने की ख़बरें
आ रही हैं!

  
सब
जानते हैं कि, देश में एक लम्बे समय से किसानों की समस्याओं पर राजनीति  हो रही है! आज कई प्रदेशों  में किसान अपनी समस्याओं को लेकर आन्दोलन करता
नज़र आ रहा है! देश की राजधानी तक में किसानों ने नग्न प्रदर्शन कर के सरकार,
मीडिया एवं सिविल सोसाइटी का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है! किन्तु, ऐसा
प्रतीत होता है कि, सरकार ने किसानों की समस्या पर मौन धारण कर लिया है, जो भारत
जैसे एक कल्याणकारी राज्य के लिए अच्छी बात नहीं है! महाराष्ट्र में इस किसान
आन्दोलन से हालात ख़राब होने के स्पष्ट संकेत आ रहे हैं!  राजनीतिक पार्टियों का एक-दुसरे पर आरोप -प्रत्यारोप
शुरू हो गया है!जहाँ एक तरफ़  एक राजनितिक
दल सरकार पर प्रदेश में किसानों की समस्याओं से आँख मूंदने   का आरोप
लगाता नज़र आता है, तो वहीं दूसरी तरफ़ दूसरी पार्टी अन्य राजनितिक दलों पर किसानों
को उकसाने का आरोप लगाते  नज़र आती है!

वर्त्तमान
स्थिति को देखते हुए मोव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर ने सरकार से तुरंत
इस मसले पर ध्यान देने की अपील की है! एम पी जे के प्रदेश अध्यक्षमुहम्मद सिराज  ने आज यहाँ एक बयानजारी करते हुए कहा कि,
राज्य में किसानों की समस्या
नई नहीं है! आज महाराष्ट्र देश में किसान आत्महत्याओं के लिए ज़्यादा जाना जाता है!
राज्य में किसान समस्या पर राजनीती बंद होनी चाहिए और कृषकों के कल्याण के लिए ठोस
क़दम उठाया जाना चाहिए! किसानों को न्याय मिलना ही चाहिए!
उन्हों ने कहा कि, आज
किसान ख़ुद अपने खून-पसीने से उगाए हुए फ़सल को रोड पर फेंकने को मजबूर है! यह न
सिर्फ़ देश के लिए विकट प्रस्थिति है, बल्कि कल के लिए एक अशुभ संकेत भी! अगर यही
हाल रहा और किसानों ने खेती का काम छोड़ दिया तो क्या होगा? देश के विभिन्न हिस्सों
में किसान खेती को छोड़ कर दूसरा पेशा अपनाने को मजबूर हैं! अगर हम अन्न उत्पादकों
के हितों का ध्यान नहीं रख पाए तो वह दिन दूर नहीं जब  हमारे सामने  ज़बरदस्त खाद्य संकट उत्पन्न हो जाएगा!

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