देश की जानी
मानी जन आन्दोलन मूव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर ने 10 दिसम्बर को अकोला
में एक किसान मेळावा का आयोजन किया। यह कार्यक्रम अकोला ज़िला कृषि उत्पन्न बाज़ार समिति के प्रांगण में
आयोजित किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में कृषकों ने भाग लिया।इस कार्यक्रम की
अध्यक्षता एम् पी जे के प्रदेश अध्यक्ष मुहम्मद सिराज ने की। उन्हों ने कहा कि दस
दिसंबर अर्थात् अंतररष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस को किसान सम्मलेन आयोजित कर के हम
देश और दुनिया को बताना चाहते हैं कि, किसान भी इंसान हैं और उन्हें भी देश के
संविधान में दिए गए इज्ज़त वाली ज़िन्दगी जीने का अधिकार है।आख़िर किसान ख़ुद अपनी
जानें लेने को क्यों मजबूर होता है, इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करके उन्हें समस्यों
से निजात दिलाने की ज़रुरत है। किसानों को न्याय और उसके तमाम अधिकार उन्हें मिलना
चाहिए।
मानी जन आन्दोलन मूव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर ने 10 दिसम्बर को अकोला
में एक किसान मेळावा का आयोजन किया। यह कार्यक्रम अकोला ज़िला कृषि उत्पन्न बाज़ार समिति के प्रांगण में
आयोजित किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में कृषकों ने भाग लिया।इस कार्यक्रम की
अध्यक्षता एम् पी जे के प्रदेश अध्यक्ष मुहम्मद सिराज ने की। उन्हों ने कहा कि दस
दिसंबर अर्थात् अंतररष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस को किसान सम्मलेन आयोजित कर के हम
देश और दुनिया को बताना चाहते हैं कि, किसान भी इंसान हैं और उन्हें भी देश के
संविधान में दिए गए इज्ज़त वाली ज़िन्दगी जीने का अधिकार है।आख़िर किसान ख़ुद अपनी
जानें लेने को क्यों मजबूर होता है, इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करके उन्हें समस्यों
से निजात दिलाने की ज़रुरत है। किसानों को न्याय और उसके तमाम अधिकार उन्हें मिलना
चाहिए।
इस कार्यक्रम के
मुख्य वक्ता कृषि आन्दोलन के मशहूर नेता और अभ्यासक श्री विजय जावनधिया साहब थे,
उन्हों ने देश में किसानों द्वारा की जा रही आत्म हत्या पर चिंता प्रकट करते हुए
किसानों के आत्महत्या का ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत किया और बताया कि किसानों ने अकाल के
दिनों में आत्म हत्याएं नहीं की और न ही सन ८० से ९० के दशक में ऐसी कोई भी घटना घटित
हुई।बल्कि इस प्रकार की घटनाएँ कुछ वर्ष पूर्व ही घटित होनी शुरू हुई है। अब
उन्हें लगता है कि सरकार भी उनकी बातें नहीं सुनती, बल्कि उनको विश्वास हो गया है
कि किसानों के हितों की क़ीमत पर कॉर्पोरेट्स का भला किया जा रहा है।
मुख्य वक्ता कृषि आन्दोलन के मशहूर नेता और अभ्यासक श्री विजय जावनधिया साहब थे,
उन्हों ने देश में किसानों द्वारा की जा रही आत्म हत्या पर चिंता प्रकट करते हुए
किसानों के आत्महत्या का ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत किया और बताया कि किसानों ने अकाल के
दिनों में आत्म हत्याएं नहीं की और न ही सन ८० से ९० के दशक में ऐसी कोई भी घटना घटित
हुई।बल्कि इस प्रकार की घटनाएँ कुछ वर्ष पूर्व ही घटित होनी शुरू हुई है। अब
उन्हें लगता है कि सरकार भी उनकी बातें नहीं सुनती, बल्कि उनको विश्वास हो गया है
कि किसानों के हितों की क़ीमत पर कॉर्पोरेट्स का भला किया जा रहा है।
श्री जावंधिया ने आगे बताया कि आज किसान अपनी ज़मीन
बेचकर बेटे को चपरासी बनाना चाहता है, किन्तु खेती करना
नहीं चाहता। उन्हों ने कहा कि देश में सरकारी कर्मियों के लिए वेतन आयोग बनते हैं, किन्तु किसानों को उसकी फ़सल की ख़रीद हेतु हामी भाव पर कुछ राज्य सरकारों द्वारा
दिए जा रहे बोनस को भी बंद करा दिया जाता है। किन्तु वही केंद्र सरकार गुजरात में विधानसभा
चुनाव के शुभ अवसर पर कपास की ख़रीदारी के लिए पांच सौ रुपया बोनस देने की घोषणा करती
है।श्री जवांधिया ने चुनाव आयोग से इस की जांच करने की मांग करते हुए इसे सीधे सीधे
गुजरात के किसानों को मोदी सरकार द्वारा रिश्वत देने का मामला बताया।
बेचकर बेटे को चपरासी बनाना चाहता है, किन्तु खेती करना
नहीं चाहता। उन्हों ने कहा कि देश में सरकारी कर्मियों के लिए वेतन आयोग बनते हैं, किन्तु किसानों को उसकी फ़सल की ख़रीद हेतु हामी भाव पर कुछ राज्य सरकारों द्वारा
दिए जा रहे बोनस को भी बंद करा दिया जाता है। किन्तु वही केंद्र सरकार गुजरात में विधानसभा
चुनाव के शुभ अवसर पर कपास की ख़रीदारी के लिए पांच सौ रुपया बोनस देने की घोषणा करती
है।श्री जवांधिया ने चुनाव आयोग से इस की जांच करने की मांग करते हुए इसे सीधे सीधे
गुजरात के किसानों को मोदी सरकार द्वारा रिश्वत देने का मामला बताया।
इस कार्यक्रम के
मुख्य अतिथि महारष्ट्र के लोकप्रिय मराठी दैनिक देशोन्नति के मुख्य संपादक श्री प्रकाश
पोहरे ने भी किसानों की समस्याओं पर अपनी बात रखते हुए किसानों की बदहाली के लिए देश
में राजनितिक उदासीनता को जिम्मेदार ठहराया।
मुख्य अतिथि महारष्ट्र के लोकप्रिय मराठी दैनिक देशोन्नति के मुख्य संपादक श्री प्रकाश
पोहरे ने भी किसानों की समस्याओं पर अपनी बात रखते हुए किसानों की बदहाली के लिए देश
में राजनितिक उदासीनता को जिम्मेदार ठहराया।
इस अवसर पर अकोला
ज़िला कृषि उत्पन्न बाज़ार समिती के सभापती श्री शिरीष धोत्रे और अंजनवादी आंदोलन, लातूर के श्री लक्ष्मण वांघे ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए किसानों का
मार्गदर्शन किया।
ज़िला कृषि उत्पन्न बाज़ार समिती के सभापती श्री शिरीष धोत्रे और अंजनवादी आंदोलन, लातूर के श्री लक्ष्मण वांघे ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए किसानों का
मार्गदर्शन किया।
अकोला: एम पी जे द्वारा किसान मेले का आयोजन –
http://www.tezsamachar.com/?p=10068