अधिवक्ता सचिन बनसोड़े संवैधानिक मूल्यों पर
चर्चा करते हुए |
कल्याण — मूवमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस ने ठाणे
जिले स्थित कल्याण में ऑल इंडिया कैडर प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया था, जो कल
सम्पन्न हो गया! दरअसल, मूवमेंट फॉर पीस
एंड जस्टिस एक राष्ट्रव्यापी संगठन है जो लोगों
को न्याय दिलाने और समाज में शांति स्थापित करने के लिए प्रयासरत है!
जिले स्थित कल्याण में ऑल इंडिया कैडर प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया था, जो कल
सम्पन्न हो गया! दरअसल, मूवमेंट फॉर पीस
एंड जस्टिस एक राष्ट्रव्यापी संगठन है जो लोगों
को न्याय दिलाने और समाज में शांति स्थापित करने के लिए प्रयासरत है!
संगठन ने सामाजिक
एक्टिविज्म मुद्दे पर अपने कैडर की क्षमता
निर्माण के लिए इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया था! इस अवसर पर आज
मूवमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस, महाराष्ट्र के प्रदेश
अध्यक्ष मुहम्मद सिराज ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ग्यारह वर्षों से सामाजिक सरोकारों के मुद्दों
पर देश में एक महत्वपूर्ण और सार्थक बदलाव लाने के लिए हम काम करते रहे हैं और आज एम
पी जे सार्वजनिक आवाज बनकर सामने आई है- उन्होंने कहा, हमारा उद्देश्य समानता और न्याय पर आधारित एक
आदर्श समाज की स्थापना करना है और धर्म भी समाज में शांति और न्याय स्थापित करने का
आदेश देता है! उन्होंने बताया कि, बाबा साहब
अम्बेडकर ने भी कहा था कि, अगर लोग अच्छे न हों तो दुनिया का सबसे अच्छा कानून भी लाभ
नहीं पहुंचा सकता है!
एक्टिविज्म मुद्दे पर अपने कैडर की क्षमता
निर्माण के लिए इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया था! इस अवसर पर आज
मूवमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस, महाराष्ट्र के प्रदेश
अध्यक्ष मुहम्मद सिराज ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ग्यारह वर्षों से सामाजिक सरोकारों के मुद्दों
पर देश में एक महत्वपूर्ण और सार्थक बदलाव लाने के लिए हम काम करते रहे हैं और आज एम
पी जे सार्वजनिक आवाज बनकर सामने आई है- उन्होंने कहा, हमारा उद्देश्य समानता और न्याय पर आधारित एक
आदर्श समाज की स्थापना करना है और धर्म भी समाज में शांति और न्याय स्थापित करने का
आदेश देता है! उन्होंने बताया कि, बाबा साहब
अम्बेडकर ने भी कहा था कि, अगर लोग अच्छे न हों तो दुनिया का सबसे अच्छा कानून भी लाभ
नहीं पहुंचा सकता है!
इस मौके पर एम पी जे, महाराष्ट्र के महासचिव अफ़सर उस्मानी ने कहा, आज से ग्यारह साल पहले हम ने बहुत ही सीमित संसाधनों के साथ एक मुश्किल सफर शुरू
किया था! हमारे सामने केवल शांति और न्याय पर आधारित एक स्वस्थ समाज स्थापित करने का
लक्ष्य सामने था! शुरुआत शून्य से करनी थी और हम प्राकृतिक आपदाओं से लेकर अनाज से
शराब, सूखा, किसानों की आत्महत्या, राजेंद्र सच्चर कमीटी रिपोर्ट, स्वास्थ्य, खाध्य जैसे विभिन्न मुद्दों पर जन आंदोलन चलाते रहे हैं
और उसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं! इस राष्ट्रीयप्रशिक्षण शिविर को संबोधित
करते हुए एम पी जे, तेलंगाना के अध्यक्ष ख्वाजा
मोइनुद्दीन ने बताया कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इस जन आन्दोलन ने मानव अधिकारों
के संरक्षण के लिए अनेक उल्लेखनीय कारनामा अंजाम दिया है, विशेष रूप से अंडर ट्रायल प्रिजनर्स के लिए
अहम् काम किया है!
किया था! हमारे सामने केवल शांति और न्याय पर आधारित एक स्वस्थ समाज स्थापित करने का
लक्ष्य सामने था! शुरुआत शून्य से करनी थी और हम प्राकृतिक आपदाओं से लेकर अनाज से
शराब, सूखा, किसानों की आत्महत्या, राजेंद्र सच्चर कमीटी रिपोर्ट, स्वास्थ्य, खाध्य जैसे विभिन्न मुद्दों पर जन आंदोलन चलाते रहे हैं
और उसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं! इस राष्ट्रीयप्रशिक्षण शिविर को संबोधित
करते हुए एम पी जे, तेलंगाना के अध्यक्ष ख्वाजा
मोइनुद्दीन ने बताया कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इस जन आन्दोलन ने मानव अधिकारों
के संरक्षण के लिए अनेक उल्लेखनीय कारनामा अंजाम दिया है, विशेष रूप से अंडर ट्रायल प्रिजनर्स के लिए
अहम् काम किया है!
इस प्रशिक्षण सत्र को संबोधित करते हुए वक्ताओं
ने, अपने अनुभव और सफलता की
कहानियां भी बताईं! संगठन के राष्ट्रीय समन्वयक मोहम्मद अहमद ने नागरिक समाज के विभिन्न
पहलुओं को पेश करते हुए कार्यकर्ताओं को व्यवस्थित तरीके से काम करने की सलाह देते
हुए समाज में शांति और न्याय की स्थापना के लिए काम करने की अपील की!
ने, अपने अनुभव और सफलता की
कहानियां भी बताईं! संगठन के राष्ट्रीय समन्वयक मोहम्मद अहमद ने नागरिक समाज के विभिन्न
पहलुओं को पेश करते हुए कार्यकर्ताओं को व्यवस्थित तरीके से काम करने की सलाह देते
हुए समाज में शांति और न्याय की स्थापना के लिए काम करने की अपील की!
संवैधानिक मूल्यों, सामाजिक न्याय और
सशक्तिकरण जैसे अहम् और प्रासंगिक विषयों पर अधिवक्ता सचिन बन्सोडे, सामाजिक
कार्यकर्त्ता सुरेश सावंत तथा नुसरत अली ने अपने विचार रखे!
सशक्तिकरण जैसे अहम् और प्रासंगिक विषयों पर अधिवक्ता सचिन बन्सोडे, सामाजिक
कार्यकर्त्ता सुरेश सावंत तथा नुसरत अली ने अपने विचार रखे!