प्री-मैट्रिक अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति की राशी में वृद्धि के साथ साथ इनकम सर्टिफिकेट जमा करने की शर्त को ख़त्म करे सरकार: एम पी जे

प्री-मैट्रिक
स्तर पर छात्रवृत्ति अल्पसंख्यक समुदायों से माता-पिता को अपने स्कूल जाने वाले बच्चों
को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु शुरू किया गया था. इस योजना का मक़सद स्कूल
शिक्षा पर ग़रीब माता-पिता के वित्तीय बोझ को हल्का करने और स्कूल ड्राप आउट की दर को
कम करना था और शिक्षा के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदायों का सशक्तिकरण कर के उनके सामाजिक
आर्थिक स्थितियों में परिवर्तन लाना था. किन्तु ये योजना भी प्रथम दिन से ही लालफीताशाही
का शिकार रही है.

 

आपको
बता दें कि महाराष्ट्र में अल्पसंख्यक प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति का भुगतान शुरू से
ही विवादित रहा है. महाराष्ट्र सरकार को केंद्र सरकार से छात्रवृत्ति निधि प्राप्त
होने के बावजूद वर्षों तक बच्चों को छात्रवृत्ति के पैसे नहीं दिए गए थे. एमपीजे ने
इसके लिए सड़क से लेकर अदालत तक एक सफल लड़ाई लड़ी है. एमपीजे के ही न्यायिक हस्तक्षेप
के बाद राज्य में इस योजना के तहत पहली बार बच्चों को छात्रवृत्ति की राशि का भुगतान
किया गया था. मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर (एमपीजे ) शुरू से ही स्कालरशिप
की लड़ाई लड़ती आई है.


गौर
तलब है कि
, महाराष्ट्र में प्री-मैट्रिक
छात्रवृत्ति योजना (
2020-21) के लिए
लाखों नए और नवीकरण आवेदन ऑनलाइन प्रस्तुत किए गए हैं. हमेशा की तरह इस बार भी
, संबंधित स्कूलों और शिक्षा कार्यालयों ने राज्य नोडल अधिकारी
को सत्यापित आवेदन पत्र अग्रेषित किए थे.

 

किन्तु, ज्ञात हुआ है कि, महाराष्ट्र राज्य के नोडल अधिकारी ने अपने पत्र दिनांक 18 और 21 जनवरी
2021 के संदर्भ में सभी नए और नवीकरण आवेदन वापस कर दिए हैं, और सक्षम प्राधिकारी से आय प्रमाण पत्र के प्रमाण की मांग करते
हुए सभी आवेदनों को फिर से सत्यापित करने का निर्देश दिया है. गौर तलब है कि
, प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आय प्रमाण के रूप में स्व घोषणा/शपथ
पत्र को आय प्रमाण के रूप में माना जाता है
, किन्तु अल्पसंख्यक के मामले में सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्गत
आय प्रमाण पत्र को फिर से सत्यापित करने का आदेश दिया गया है
, जो समझ से परे है.

एम पी
जे ने महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधान मंत्री को ज्ञापन
सौंप कर इनकम सर्टिफिकेट जमा करने की शर्त को ख़त्म करने और स्व घोषणा / शपथ पत्र को
आय प्रमाण के रूप में मानने का अनुरोध किया है. इसके अलावा प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक
स्कालरशिप की राशि को बढ़ाने का भी अनुरोध किया है.  
 



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