मुंबई: एम् पी
जे ने गत ६ अक्टूबर को मुंबई प्रेस क्लब में एक पत्रकार सम्मलेन आयोजित कर के
राज्य में डॉ० स्वामी नाथन आयोग की सिफारिशों को
अविलम्ब लागू करने की मांग की! गौर तलब है कि, एम् पी जे हमेशा से ही किसानों की
समस्याओं को दूर करने के लिए आवाज़ें उठाती रही है! दरअसल महाराष्ट्र राज्य में किसानों के सामने अनेक समस्याएँ
विकराल रूप धारण किए खड़ी हैं! यह राज्य किसान आत्महत्याओं के लिए तो पहले से ही मशहूर
हो चूका है और अब कीटनाशकों के असुरक्षित छिडकाव से किसानों की मौतें भी होने लगी हैं! कई बार किसानों को मंडी में उसके फसल का उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण उन्हें आलू, प्याज़, टमाटर और अन्य फसलें सड़क पर फ़ेंक देने को
मजबूर होना पड़ता है!
जे ने गत ६ अक्टूबर को मुंबई प्रेस क्लब में एक पत्रकार सम्मलेन आयोजित कर के
राज्य में डॉ० स्वामी नाथन आयोग की सिफारिशों को
अविलम्ब लागू करने की मांग की! गौर तलब है कि, एम् पी जे हमेशा से ही किसानों की
समस्याओं को दूर करने के लिए आवाज़ें उठाती रही है! दरअसल महाराष्ट्र राज्य में किसानों के सामने अनेक समस्याएँ
विकराल रूप धारण किए खड़ी हैं! यह राज्य किसान आत्महत्याओं के लिए तो पहले से ही मशहूर
हो चूका है और अब कीटनाशकों के असुरक्षित छिडकाव से किसानों की मौतें भी होने लगी हैं! कई बार किसानों को मंडी में उसके फसल का उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण उन्हें आलू, प्याज़, टमाटर और अन्य फसलें सड़क पर फ़ेंक देने को
मजबूर होना पड़ता है!
कृषि हेतु सिंचाई
की समुचित व्यवस्था के आभाव में भी किसान को ज़बरदस्त हानि होती है! प्रदेश में सिंचाई
हेतु पानी उपलब्ध नहीं है! इस समस्या के समाधान हेतु जलयुक्त शिवार योजना शुरू की गई
थी, जो आज तक ठीक ढंग से लागू नहीं हो पाया है! अगर किसान किसी तरह धरती से जल निकालने
की व्यवस्था कर भी लेता है तो बिजली उपलब्ध नहीं होती है! वन्य प्राणियों से भी किसानो
की फसल बर्बाद होती रहती है, किन्तु वन विभाग के कानों
पर जूं तक नहीं रेंगती!
की समुचित व्यवस्था के आभाव में भी किसान को ज़बरदस्त हानि होती है! प्रदेश में सिंचाई
हेतु पानी उपलब्ध नहीं है! इस समस्या के समाधान हेतु जलयुक्त शिवार योजना शुरू की गई
थी, जो आज तक ठीक ढंग से लागू नहीं हो पाया है! अगर किसान किसी तरह धरती से जल निकालने
की व्यवस्था कर भी लेता है तो बिजली उपलब्ध नहीं होती है! वन्य प्राणियों से भी किसानो
की फसल बर्बाद होती रहती है, किन्तु वन विभाग के कानों
पर जूं तक नहीं रेंगती!
देश के प्रसिद्ध
कृषक नेता विजय जवांधिया ने किसानों की समस्याओं पर मोव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर
वेलफेयर द्वारा आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बोलते हुए कहा कि, आज तो एक बात बिलकुल स्पष्ट है कि, किसानों की हालत
बदलने के लिए किसी दूसरी हरित क्रांति की ज़रुरत नहीं बल्कि एक किसान क्रांति की आवश्यकता
है और उन्हों ने प्रदेश में किसान समस्या के समाधान हेतु पत्रकार सम्मलेन के माध्यम
से सरकार के समक्ष निम्नलिखित मांग रखी हैं:
कृषक नेता विजय जवांधिया ने किसानों की समस्याओं पर मोव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर
वेलफेयर द्वारा आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बोलते हुए कहा कि, आज तो एक बात बिलकुल स्पष्ट है कि, किसानों की हालत
बदलने के लिए किसी दूसरी हरित क्रांति की ज़रुरत नहीं बल्कि एक किसान क्रांति की आवश्यकता
है और उन्हों ने प्रदेश में किसान समस्या के समाधान हेतु पत्रकार सम्मलेन के माध्यम
से सरकार के समक्ष निम्नलिखित मांग रखी हैं:
1. डॉ० स्वामी नाथन आयोग की सिफारिशों को
अविलम्ब लागू किया जाए,
अविलम्ब लागू किया जाए,
2. समर्थन मुल्य तय करते समय कुल उत्पादन लागत पर ५०% की दर से लाभ दिया जाए,
3. सरकार हर वर्ष फसलों के लिए समर्थन मुल्य घोषित करे और उस पर अमल किया जाए,
4. बिना किसी शर्त के वर्ष २०१७ तक के समस्त कृषि ऋण माफ़ किया जाए,
5. किसानो और शेतकरी मजदूरों के लिए आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा क़ानून बनाया जाए,
6. सिंचाई हेतु प्राकृतिक स्रोत पर निर्भर किसानों के लिए विशेष योजना बनाई जाए और
बुवाई से कटाई तक के काम म.न.रे.गा के अंतर्गत किए जाएँ,
बुवाई से कटाई तक के काम म.न.रे.गा के अंतर्गत किए जाएँ,
7. कृषि कार्य हेतु ब्याज रहित क़र्ज़ दिया जाए,
8. किसानों को ६० वर्ष की आयु के बाद पेंशन देने की योजना शुरू की जाए,
9. किसानों को निर्बाध रूप से बिजली उपलब्ध करायी जाए तथा
10. सिंचाई की समस्या
हल करने के लिए बड़ी नदियों को जोड़ने के परियोजना को आरंभ किया जाए!
हल करने के लिए बड़ी नदियों को जोड़ने के परियोजना को आरंभ किया जाए!