MPJ ने महाराष्ट्र सरकार से कोंकण के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बिजली, पानी, भोजन और स्वास्थ्य सेवाएँ शीघ्र बहाल करने की मांग की

 कोंकण में बाढ़, तूफ़ान से निपटने के लिए ठोस नीति बनाए सरकार


मुव्ह्मेन्ट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एम पी जे)
ने महाराष्ट्र सरकार को एक मेमोरेंडम सौंप कर बाढ़ से प्रभावित कोंकण में बिजली
, पानी, रेडी मेड फ़ूड और
सैनिटेशन एवं हेल्थ केयर सेवा लोगों को अविलम्ब उपलब्ध कराने की मांग की थी.
 


दरअसल पिछले सप्ताह भारी बारिश के बाद कोंकण के राय गढ़, रत्ना
गिरी और सिंधुदुर्ग जिलों में ज़बरदस्त तबाही हुई है. बड़ी तादाद में लोगों ने अपना
सब कुछ खो दिया है.  चिपलून और महाड शहर के
निवासी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए बताए जाते हैं. आप को बता दूं कि
, बहुत सारे
ऐसे लोग भी हैं
, जिनके पास पहनने को कपड़े तक नहीं हैं.


प्रभावित इलाकों में बिजली और पानी की आपूर्ति नहीं है, जिससे
लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों को पर्याप्त भोजन और पानी
नहीं मिल पा रहा है. अब बाढ़ का पानी प्रभावित क्षेत्रों के विभिन्न हिस्सों में
घट रहा है. लेकिन जो घर
, दुकानें और प्रतिष्ठान पानी में डूबे थे, उनमें अब
कीचड़ भरा हुआ है. जिसकी वजह से कीड़े मकोड़े और मच्छर के साथ साथ बदबू आदि से लोगों
को परेशानी हो रही है. बीमारी फैलने का खतरा अलग है.  


इस विकट परिस्थिति में मुव्ह्मेन्ट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फॉर
वेलफेयर (एम पी जे) राज्य सरकार से प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के लिए चिकित्सा
और खाने के लिए तैयार भोजन सहित पानी और बिजली जैसी आवश्यक आपूर्ति सेवाओं की
बहाली का अनुरोध किया था. एम पी जे सरकार से प्रभावित इलाक़ों में कम्युनिटी किचन
स्थापित कर के हालात सामान्य होने तक मुफ़्त भोजन उपलब्ध कराने की भ मांग की है. इसके
साथ ही अतिशीघ्र प्रभावित लोगों के पुनर्वास हेतु आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया
है.


कोंकण के लिए बारिश, बाढ़ और तूफ़ान कोई नई बात नहीं है, बल्कि
तक़रीबन हर साल यहाँ के लोगों का भारी बारिश
, बाढ़ और तूफान से सामना होता है और तबाही
देखने को मिलती है
, लेकिन आज तक इन प्राकृतिक आपदाओं से निपटने
के लिए कोई ठोस नीति नहीं बन सकी. ये एक गंभीर विषय है और महाराष्ट्र सरकार से
संगठन ने इस मुद्दे पर गंभीरता से गौर करने की अपील की है.




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