भूख को हराना है

भूख को हराना है
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013

आप जानते हैं कि, देश 
के प्रत्येक नागरिक को राशन तथा उचित पोषण दिलाने के लिए मूवमेंट फॉर
पीस एंड जस्टिस (एम.पी.जे.)
ने कई  जन
आन्दोलन सफलतापूर्वक चलाये हैं! सरकार ने सिविल  सोसाइटी की मांग पर मजबूर हो कर भारत में
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून
2013 प्रस्तुत किया, जिसके कार्यन्वयन को ले
लेकर हम सरकार से पूरी तरह सहमत नहीं हैं! किन्तु, आइये इस क़ानून पर जन हित में एक
नज़र डालते हैं!  राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा
कानून 2013 द्वारा देशवासियों को जन वितरण प्रणाली(
PDS) के
माध्यम से कम क़ीमत पर राशन, बच्चों के लिए पोषण और महिलाओं के लिए मातृत्व लाभ का
अधिकार प्रदान किया गया है!

जन वितरण प्रणाली (PDS):
वैसे तो यह क़ानून खाते – पीते परिवाओं को छोड़कर बाकी सब को राशन कार्ड देने का
प्रावधान करता है, किन्तु, इस क़ानून के अंतर्गत देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 75%
तथा शहरी इलाक़ों में 50% परिवारों को राशन कार्ड आवंटन का लक्ष्य निर्धारित किया
गया है!
पात्र
परिवार की श्रेणियां 
खाद्यान्न
प्रतिमाह
कीमत
प्रतिकिलो
*
अन्त्योदय
35 किलो प्रति परिवार
मोटा अनाज –1 रूपए किलो
गेहूं –2 रूपए किलो
चावल –3 रूपए प्रति किलो
प्राथमिक परिवार
5 किलो प्रति
व्यक्ति
अनाज की दरें सालों के लिए तय की जायेगी तथा इस अवधि के पश्चात् इनका पुनरीक्षण किया
जायेगा!
 
बच्चों का
पोषण
खाद्य सुरक्षा कानून में बच्चों के भी कई
अधिकार सम्मिलित किये गए हैं:
उम्र
अधिकार
स्थान /
कहाँ से मिलेगा?
6 महीने से
कम उम्र के लिए
केवल स्तनपान को प्रोत्साहन और परामर्श की व्यवस्था
6 माह से 3
साल की उम्र के लिए
घर ले जाने
के लिए भोजन
आंगनवाड़ी से
6 से 6 साल
की उम्र के लिए
सुबह का नाश्ता और गरम पका हुआ भोजन
आंगनवाड़ी से
6 माह से 6
साल के बच्चे (कुपोषित)
घर ले जाने
के लिए भोजन
आंगनवाड़ी से
6 से 14 साल
की उम्र के लिए
पका हुआ
दोपहर का खाना (बिना कोई शुल्क)
स्कूल* आठवीं कक्षा अथवा १४ वर्ष की उम्र तक
छुट्टियों के छोड़ कर
मातृत्व लाभ:
सरकार के इस वैधानिक प्रयास में महिलाओं के भी अधिकार चिन्हित
किये गए हैं: गर्भवती व धात्रि महिलाओंके लिए आंगनवाड़ी से पका भोजन या घर ले जाने
के लिए पौष्टिक राशन के साथ-साथ रु. 6,000 रूपए का मातृत्व लाभ की प्रदानगी का
प्रावधान किया गया है!
पात्रता
अधिकार
स्थान /
कहाँ से मिलेगा?
गर्भवती और
धात्री महिलायें (बच्चे के जन्म के 6 माह बाद तक)
घर ले जाने
के लिए भोजन
आंगनवाड़ी से
मातृत्व
अधिकार
कम से कम
6000 रूपए की अधिकार आधारित पात्रता –किश्तों में
केंद्र
सरकार को प्रक्रिया और व्यवस्था तय करना है!
खाद्य सुरक्षा कानून सम्बंधित उपरोक्त
आवश्यक बातों के अलावा बच्चों एवं गर्भवती व धात्रि महिलाओं को मिले अधिकार की
सविस्तार चर्चा कर लेते हैं!
समेकित बाल विकास
परियोजना
भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा कानून के अंतर्गत  छोटे बच्चों के समुचित पोषण  के लिए अनेक प्रावधान किये हैं, जो देश के मासूमों का अधिकार है!
प्रत्येक गाँव और टोले में आंगनवाड़ी केंद्र की स्थापना: प्रत्येक गाँव
और टोले में आंगनवाड़ी केंद्र की स्थापना होनी चाहिए!  न्यूनतम चालीस (
40) या अधिक  बच्चे की संख्या होने पर एक आंगनवाड़ी केंद्र की
स्थापना होनी चाहिए
, यदि ऐसी जगह
पर कोई आंगनवाड़ी केंद्र नहीं है
,
तो इस जगह के लिए एक आंगनवाड़ी की मांग की जा सकती है! सम्बंधित विभाग को उस जगह तीन महीने के
अन्दर एक आंगनवाड़ी केंद्र की स्थापना करनी होगी!
पोषण,
स्वास्थ्य और शिक्षा हर बच्चे का अधिकार:
·        
माननीय
सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के मुताबिक़
, छः वर्ष से कम उम्र के हर
बच्चे को आंगनवाड़ी की पोषण
,
स्वास्थ्य व शिक्षा जैसी मूलभूत सेवाएं प्राप्त होनी ही
चाहिए!
·        
तीन
से छः वर्ष के बच्चों को आंगनवाड़ी में रोज़ ताज़ा पका और पौष्टिक भोजन देना है! इनका
हर तीन महीनों में वज़न रिकॉर्ड किया जाना है तथा खेल कूद के माध्यम से पढ़ाना है!
·        
तीन
साल से छोटे बच्चे को घर ले जाने के लिए पौष्टिक राशन मिलना चाहिए तथा  इनका नियमित रूप से वज़न रिकॉर्ड करना सहित
टीकाकरण भी करना है!
इस योजना के अंतर्गत गर्भवती और धात्रि महिलाओं के लिए भी
अधिकार निर्धारित किये गए हैं! ऐसी महिलाओं के पोषण व स्वास्थ्य का ध्यान रखना
आंगनवाड़ी कार्यक्रम की जिम्मेदारीहै!
·        
गर्भवती
व धात्रि महिलाओं को आंगनवाड़ी से पका हुआ ताज़ा 
भोजन या घर ले जाने के लिए पौष्टिक राशन दिया जाना  है!
·        
उनको
पोषण व स्वास्थ्य पर आवश्यक जानकारी देना है तथा उनके स्वास्थ्य की जांच करनी है!
सर्वोच्च न्यायलय के आदेशों के अनुसार, किशोरियों को भी आंगनवाड़ी से पोषण मिलना
है
I
इस सम्बन्ध में एक अहम् बात यह है कि, आंगनवाड़ी का भोजन निजी ठेकेदारों से नहीं
खरीदा जाएगा!  स्थानीय समूह की महिलाओं को
यह भोजन प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए!
मध्याहन भोजन
प्रत्येक सरकारी स्कूल में आठवी कक्षा तक बच्चों को मध्याहन
भोजन नियमित रूप से प्रति दिन  मिलना चाहिए!
छुट्टियों को छोड़कर, मध्याहन भोजन एक दिन भी बंद नहीं होगा!
मध्याहन भोजन की व्यवस्था:

  • भोजन को
    पकाने के लिए हर स्कूल में रसोई तथा पीने के लिए साफ़ पानी की व्यवस्था करनी
    होगी!
  • मध्याहन
    भोजन के रसोइए व सहायिका चुनते समय दलित व अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को
    प्राथमिकता देना होगा!
  • हर स्कूल
    में राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मेन्यू के अनुसार खाना परोसना है! 
  • सूखा
    पीड़ित क्षेत्रों में गर्मियों की छुट्टियों के दौरान भी मध्याह्न भोजन देना
    होगा!

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