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परभणी में हिंसा और पुलिस हिरासत में मौत: एमपीजे ने की जांच की मांग

मुंबई: मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर (एमपीजे) ने महाराष्ट्र के परभणी में हुई हालिया हिंसा और पुलिस हिरासत में एक व्यक्ति की मौत पर गहरी चिंता व्यक्त की है। संगठन ने राज्य के विभिन्न जिलों में जिलाधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

ग़ौर तलब है कि गत 10 दिसंबर को परभणी में बाबा साहब डॉ. बी.आर. अंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान की प्रतिकृति तोड़े जाने की घटना के बाद भड़की हिंसा में कई लोग घायल हुए और निजी तथा सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा। इस हिंसा के दौरान पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया था, जिनमें से एक व्यक्ति सोमनाथ सूर्यवंशी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई।

दरअसल मृतक सोमनाथ सूर्यवंशी के परिवार सहित स्थानीय समुदाय ने आरोप लगाया है कि सूर्यवंशी की मौत पुलिस हिरासत में हुई है और इस मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है।

एमपीजे ने महाराष्ट्र सरकार से मांग की है कि इस घटना की उच्च स्तरीय, निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच करायी जाए, ताकि सोमनाथ सूर्यवंशी की मौत के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके। यदि जांच में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या अप्राकृतिक मृत्यु का पता चलता है, तो दोषियों के खिलाफ कानून के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाए।

बता दें कि, एमपीजे ने उस घटना की भी गहन जांच की मांग की है, जिसके कारण संविधान की प्रतिकृति को नुकसान पहुँचाया गया। ताकि इस घटना के पीछे की परिस्थितियों और जिम्मेदार व्यक्तियों का पता लगा कर भविष्य में इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोका जा सके।

एमपीजे के महासचिव, अफसर उस्मानी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, “हम महाराष्ट्र सरकार से अपील करते हैं कि वह इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर के न्याय सुनिश्चित करने का कार्य करे।” उन्होंने कहा कि परभणी में शांति और सद्भाव बहाल करने के लिए सभी संबंधित पक्षों के साथ बातचीत शुरू की जानी चाहिए।

एमपीजे के प्रदेश अध्यक्ष, मुहम्मद सिराज ने इस मामले में अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, संविधान की प्रतिकृति और बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त करना एक शर्मनाक और निंदनीय कृत्य है। यह न केवल हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है, बल्कि देश के संस्थापकों का भी अपमान है।

यह घटना स्वाभाविक रूप से लोगों में रोष पैदा करने वाली है, लेकिन हमें शांतिपूर्ण तरीके से विरोध दर्ज कराना चाहिए। हमें कभी भी संविधान के बंधुता जैसे अनमोल आदर्श को भूलना नहीं चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं संविधान के प्रति अज्ञानता का परिणाम हैं। हमारा संविधान न केवल दुनिया का सबसे अच्छा संविधान है, बल्कि एक जीवन्त दस्तावेज भी है। ये हमारे समाज के मूल्यों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व भी करता है।
हमारे दैनिक जीवन और सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था में संवैधानिक मूल्य नज़र आना चाहिए।

इस लिए हम सरकार से यह भी अपील करते हैं कि संविधान के महत्व को आम जनता तक पहुंचाने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाए

 

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