Mumbai RTE Amendment Protest

आरटीई (RTE)नियमों में संशोधन को लेकर महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन

मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर (एमपीजे) ने आज राज्य व्यापी स्तर पर सरकारी स्कूल अथवा सहायता प्राप्त स्कूलों के एक किमी दायरे के प्राइवेट स्कूल में आरटीई के अंतर्गत २५% आरक्षित सीटों पर कमज़ोर वर्गों के बच्चों के मुफ़्त शिक्षा को बंद करने के लिए किए गए नियम में संशोधन का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में एमपीजे के कार्यकर्ताओं ने राज्य के विभिन्न ज़िलों के कलेक्ट्रेट में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कार्यालय के सामने धरने पर बैठे और हालिया आरटीई नियमों में संशोधन, महाराष्ट्र निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (संशोधन) नियम 2024, को वापस लेने कि मांग करते नज़र आए।

Mumbai RTE Amendment Protest

ग़ौर तलब है कि राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग ने बीते 9 फरवरी को एक गजट अधिसूचना जारी की जिसमें कहा गया कि अब महाराष्ट्र में सरकारी स्कूल या सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के एक किमी दायरे में आने वाले प्राइवेट स्कूल नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियम, 2013 के तहत वंचित समूह और कमजोर वर्ग के लिए 25 प्रतिशत आरक्षित सीटों पर एडमिशन के लिए बाध्य नहीं होंगे। इस संशोधन के तहत, सरकारी स्कूल या सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल के एक किलोमीटर के दायरे में स्थित निजी स्कूलों को आरटीई के तहत 25% सीटें आरक्षित करने की आवश्यकता नहीं होगी। एमपीजे ने इस संशोधन को “गरीब विरोधी” और “शिक्षा के अधिकार का हनन” करार दिया।

एमपीजे के प्रदेश अध्यक्ष मुहम्मद सिराज ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह संशोधन  शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के मूल उद्देश्यों को कमजोर करता है। यह संशोधन शिक्षा में असमानता को बढ़ाएगा और गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित करेगा। इस नए नियम की वजह से प्राइवेट स्कूलों में 25% कोटे की सीट्स में बड़े पैमाने पर कमी हो जाएगी, जिसकी वजह से ग़रीबों के बच्चों को क्वालिटी शिक्षा हासिल करने का क़ानून द्वारा दिए गए हक़ से महरूम होना पड़ेगा। सिराज ने सरकार की निजी हितों को वंचित और आर्थिक रूप से कमज़ोर समुदायों के कल्याण पर प्राथमिकता देने की आलोचना की और फैसले को तत्काल वापस लेने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इस संशोधन के द्वारा सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और बुनियादी ढांचे में सुधार की दिशा में काम किए बिना वंचित और कमज़ोर वर्ग के बच्चों को सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेने को मजबूर कर रही है। हम महाराष्ट्र शासन से मांग करते हैं कि वे इस संशोधन को तुरंत वापस लें और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के मूल उद्देश्यों को लागू करने के लिए प्रतिबद्धता ज़ाहिर करें।

पूर्व सांसद भाल चंद्र मुंगेकर भी आज यहां एमपीजे के धरने में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि जब यह शिक्षा का अधिकार कानून बन रहा था, तब मैं योजना आयोग की शिक्षा समिति का सदस्य था। 25% आरक्षण का उद्देश्य सभी के लिए समान और समावेशी शिक्षा का अवसर प्रदान करना था। महाराष्ट्र सरकार ने अध्यादेश में संशोधन कर लोगों के अधिकारों का हनन किया है. जनहित में यह संशोधन यथाशीघ्र वापस किया जाना चाहिए।

Mumbai RTE Amendment Protest

प्रदर्शनकारियों ने डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें इस संशोधन को तुरंत वापस लेने की मांग की गई।

प्रदर्शन में शामिल विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी सरकार से इस संशोधन को वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि “यह संशोधन लाखों गरीब बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित करेगा। इस से शिक्षा में असमानता को बढ़ावा मिलेगा और गरीब बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने से वंचित करेगा। सरकार को इस फैसले पर तुरंत पुनर्विचार करना चाहिए और आरटीई में किए गए संशोधन को वापस लेना चाहिए”।

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